
शहीद-ए-आज़म भगत सिंह
मेरे प्यारे देशवासियो,
मैंने अपना जीवन भारत माता की आज़ादी के लिए समर्पित कर दिया। आज जब मैं आपको यह संदेश दे रहा हूँ, तो मेरा एक ही उद्देश्य है – कि आप सभी अपने जीवन को केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए भी जिएँ।
मैंने हमेशा यह कहा कि “किसी भी क्रांति की जड़ विचारों में होती है, और उन विचारों को कोई ताकत मिटा नहीं सकती।” अंग्रेज हमें कैद कर सकते थे, हमें फाँसी दे सकते थे, लेकिन मेरे विचारों को रोकने की शक्ति किसी के पास नहीं थी। यही सच्चा साहस है – जब आपके विचार आपके जीवन से भी बड़े हो जाएँ।
आज़ादी सिर्फ बाहरी गुलामी से नहीं होती, बल्कि अंदरूनी कमज़ोरियों से भी होती है। जब तक देश का हर युवा अपने अधिकारों और कर्तव्यों को नहीं समझेगा, तब तक असली आज़ादी अधूरी रहेगी। इसलिए, हर नौजवान को पढ़ना चाहिए, सोचना चाहिए और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए।
मेरे साथियों, मैंने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि उम्र मायने नहीं रखती। इरादे मजबूत हों तो कोई भी बदलाव संभव है। अगर आप अपने अंदर की आग को पहचान लें और उसे सही दिशा दें, तो आप अकेले ही समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
मेरा संदेश साफ है – डर को छोड़ो, अन्याय का सामना करो और अपने देश की उन्नति के लिए हर पल काम करो। अगर हर इंसान निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करेगा, तो एक ऐसा भारत बनेगा, जो दुनिया के लिए मिसाल होगा।
“वे मुझे मार सकते हैं, पर मेरे विचारों को कभी नहीं मार सकते।”
यही विचार आज भी जीवित हैं और आगे भी रहेंगे।